शेयर मार्केट मे सुरुआत कहा से करे
आपने अब तक 4 अध्याय पढ़ लिए, बहुत कुछ समझ लिया, अब आप आगे का सफर शुरू करने के लिए तैयार हैं। पूरे पहले मॉड्यूल में आपको स्टॉक मार्केट या शेयर बाज़ार से परिचित करवा दिया गया है। हमारी कोशिश रही है कि वो सारे विषय आप समझ जाएं जिनको जानना आपके लिए, एक निवेशक के तौर पर ज़रूरी है, खासकर तब जब आप बाज़ार के लिए एकदम नए हैं। अब भी अगर आपके दिमाग में सवाल बचे हैं, तो अच्छी बात है, क्योंकि आगे आने वाले मॉड्यूल में हम उनके जवाब देंगे।
यहाँ हम ये बताना भी ज़रूरी समझते हैं कि हमने इतने मॉड्यूल क्यों बनाए हैं, और वो आपस में कैसे जुड़े हुए हैं। एक बार फिर से नज़र डाल लीजिए कि कौन से मॉइयूल हमने बनाएं हैं।
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- स्टॉक मार्केट का परिचय
- टेक्निकल एनालिसिस
- फंडामेंटल एनालिसिस
- फ्यूचर ट्रेडिंग
- ऑप्शन थ्योरी
- ऑप्शन स्ट्रैटेजीज
- क्वांटिटेटिव कॉन्सेप्ट्स
- कमोडिटी बाज़ार
- रिस्क मैनेजमेंट और ट्रेडिंग फिलॉसफी
- ट्रैंडिंग स्ट्रैटेजीज और सिस्टम्स
- फाइनेंशियल मॉडलिंग फॉर इंवेस्टमेंट प्रैक्टिस
इतने सारे मॉड्यूल - आपस में कैसे जुड़े हैं।
आपको यहाँ सारे विषय एक साथ दिए हुए हैं | इसमें शामिल विषय हैं फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल 'एनालिसिस, डैरिवेटिव्स, ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज, रिस्क मैनेजमेंट आदि। हर मुख्य विषय पर एक मॉड्यूल है। लेकिन अगर आप बाज़ार में नए हैं या कहें कि नए निवेशक हैं तो आपको ये लग सकता है कि ये सारे विषय आपस में जुड़े हुए कैसे हैं?
इस सवाल के जवाब में आपसे एक सवाल करना ज़रूरी है। आपको क्या लगता है कि बाज़ार में सफल होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ कया है? बाज़ार में सफलता का मतलब है कि आप खूब सारे पैसे बनाएं और अगर आप पैसा नहीं बना रहे हैं,तो आप असफल हैं। तो मेरे सवाल के जवाब में, आपके दिमाग में बहुत सारी बातें आएंगी, जैसे- रिस्क मैनेजमेंट, अनुशासन, टाइमिंग (Timing) यानी सही वक्त पर सही फैसला, बाज़ार से जुड़ी जानकारी इत्यादि।
इन चीजों के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन ज्यादा ज़रूरी और प्राथमिक है एक इष्टिकोण या नज़रिया (Point Of View) बनाना | दृष्टिकोण या नज़रिया वो चीज है जो आपको बताती है कि बाज़ार किस दिशा में जाएगा। अगर आपको लगता है कि बाज़ार ऊपर जाएगा, तो आपका नज़रिया तेज़ी का है, और आप शेयर खरीदेंगे। इसी तरीके से अगर आपका नज़रिया मंदी का है, तो आप बाज़ार में शेयर बेचेंगे।
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लेकिन ये नज़रिया आप कैसे बना सकते हैं? आप कैसे तय करेंगे कि बाज़ार ऊपर जाएगा कि नीचे?नज़रिया या इष्टिकोण बनाने के लिए एक सही कार्य प्रणाली से बाज़ार का परीक्षण (Analysis) करना होगा। कुछ तरीके हैं जिनका इस्तेमाल कर आप ये परीक्षण कर सकते हैं।
- फंडामेंटल एनालिसिस - Fundamental Analysis
- टेक्निकल एनालिसिस - Technical Analysis
- क्वांटिटेटिव एनालिसिस - Quantitative Analysis
- बाहर का नज़रिया - Out Site View
आपको समझाने के लिए हम एक उदाहरण देते हैं कि एक ट्रेडर के दिमाग में क्या चल रहा होता है, जब वो अपना नज़रिया बना रहा होता है।
फंडामेंटल एनालिसिस पर आधारित इष्टिकोण
कंपनी के तिमाही नतीजे अच्छे दिख रहे हैं, कंपनी ने बिक्री में 25% और मुनाफे में 5% वृद्धि दिखाई है। कंपनी ने आगे का भविष्य यानी गाइडेंस (Guidance) भी अच्छा बताया है। तो ये सारे फंडामेंटल संकेत शेयर में तेज़ी दिखाते हैं और इसलिए ये शेयर खरीदने की श्रेणी में है।
टेक्निकल एनालिसिस पर आधारित इष्टिकोण - MACD इंडिकेटर तेज़ी दिखा रहा है और ये बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न (Bullish Candlestick Pattern) के साथ है। इसको देखने पर शेयर छोटी अवधि के लिए (Sort Term) तेज़ी में दिखता है और इसे खरीदा जा सकता है।
क्वांटिटेटिव एनालिसिस पर आधारित इष्टिकोण - पिछले दिनों की तेज़ी के बाद शेयर के PE ने तीसरे स्टैंडर्ड डेविएशन ( 3rd Standard Deviation ) को छू लिया है। PE के तीसरे स्टैंडर्ड डेविएशन को तोड़ने की उम्मीद 1 % ही है। इसलिए ये मानना बेहतर होगा कि शेयर की चाल बदल रही है और ये बेचे जाने के लिए तैयार है।
बाहर का नज़रिया (Out Site View)- टेलिविजन पर आ रहे एनालिस्ट शेयर में खरीदारी की सलाह दे रहे हैं इसलिए शेयर खरीदा जा सकता है।
आपका नज़रिया आपकी अपनी एनालिसिस पर आधारित होना चाहिए ना कि किसी और के कहने से, क्योंकि बाद में आप किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।
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अपना नज़रिया बनाने के बाद आप आमतौर पर क्या करेंगे? क्या सीधे बाज़ार में जाएंगे और सौंदे करने लगेंगे? वास्तव में बाज़ार की पेचीदगियां यहीं से शुरू होती हैं।
अगर आपका नज़रिया तेज़ी का है तो आप.
1. स्पॉट मार्केट में शेयर खरीद सकते हैं।
2. डेरिवेटिव बाज़ार में शेयर खरीद सकते हैं।
3. डेरिवेटिव में आप शेयर का फ्यूचर खरीद सकते हैं। या आप ऑप्शन में सौंदे कर सकते हैं।
4. ऑप्शन में कॉल ऑप्शन (Call Option) भी है और पुट ऑप्शन (Put Option) भी है।
5. आप कॉल और पुट ऑप्शन का एक मिश्रण ले कर सिंथेटिक बुलिश ट्रेड (Synthetic Bullish Trade) भी कर सकते हैं।
तो अपना नज़रिया बनाने के बाद आप क्या करेंगे यह एक अलग ही खेल है। सही इंस्ट्रमेंट को चुनना ही आपके नज़रिए को ट्रेडिंग में सफल या असफल बनाता है।
उदाहरण के लिए, अगर मैं एक शेयर को लेकर एक साल के लिए तेज़ी में हूं तो मेरे लिए अच्छा ये होगा कि मैं उस शेयर को डिलीवरी ट्रेडिंग में लेकर रख लूं। लेकिन अगर मैं कम समय के लिए तेज़ी का नज़रिया रखता हूं, जैसे कि । हफ्ता, तो फ्यूचर का कोई इंस्ट्रूमेंट मेरे सौदे के लिए बेहतर होगा।
अगर मैं तेज़ी में हूं लेकिन उस नज़रिए में कुछ शर्ते जुड़ी हुई हैं, जैसे- मुझे लगता है कि बाज़ार बजट भाषण के बाद उछलेगा, लेकिन मैं बहुत रिस्क या जोखिम लेने को तैयार नहीं हूं तो मेरे लिए ऑप्शन इंस्ट्रमेंट बेहतर होंगे। तो कुल मिलाकर बाज़ार के हर खिलाड़ी को अपना नज़रिया बनाना चाहिए और उसके लिए सही ट्रेडिंग इंस्ट्रमेंट चुनना चाहिए, तभी आप बाज़ार में सफल हो सकते हैं।
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उम्मीद है कि अब तक आपको समझ आ गया होगा कि अलग-अलग मॉइयूल कैसे बाज़ार की एक पूरी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।
फ्लो चार्ट के शब्द
- Fundamental Analysis - फंडामेंटल एनालिसिस
- Technical Analysis - टेक्निकल एनालिसिस
- Quantitative Analysis - क्वांटिटेटिव एनालिसिस
- OutSite View - बाहरी नज़रिया
- Point Of View - नज़रिया या इष्टिकोण
- Tranding Terminal - ट्रेडिंग टर्मिनल
- Spot Market Transaction - स्पॉट मार्केट सौदे
- Derivative Market Transaction - डेरिवेटिव्स मार्केट सौदे
- Futures - फ्यूचर्स
- Options - ऑप्शंस
- Call option - कॉल ऑप्शन
- Put Option - पुट ऑप्शन
Over 400 Strategies Can be Built Using The Combination of Call And Put Options - इनसे मिलाकर करीब 400 तरीके की स्ट्रैटेजी या रणनीति बनाई जा सकती है।
अगले 2 मॉड्यूल में टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस पर आधारित नज़रिया (POV - Point of View) बनाना सीखेंगे।
इन 2 मॉड्यूल के बाद जब आपको नज़रिया बनाना आ जाएगा तब आगे के मॉइयूल में अलग अब्रग ट्रेडिंग इंस्ट्रमेंट की जानकारी दी जाएगी, ताकि आप आपने नज़रिए पर आधारित इंस्ट्रूमेंट चुन सकें। साथ ही आगे बढ़ने पर सोंदों को बेहतर बनाने के लिए सफल रिस्क मैनेजमेंट तकनीक बताएंगे।
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