शेयर-मार्केट में पैसे कैसे बनाएँ :- एक आम धारणा है कि स्टॉक मार्केट मनी मेकिंग मशीन के समान है, जो उन्हें कुछ ही समय में अमीर बना सकती है। हालाँकि यह सही है कि बहुत सारे निवेशक स्टॉक ड्रेडिंग से मो लाभ कमाते हैं, लेकित यह इसलिए संभव होता है, क्योंकि उन्होंने बहुत सोच-समझकर रणनीतियाँ बनाई थीं और मार्केट की अच्छी जानकारी के दूबादा वास्तव में कई स्मार्ट चचन किए बे। कभी भी जल्दबाजी में प्रॉफेट बुक न करें। सबसे आदर्श लक्ष्य होता चाहिए. कम लाध, कम हातियाँ और बड़े लाध। उतार-चढ़ाव से भरे इस मार्केट में रिस्क का प्रबंध करने का यह एक बेहतरीन तरीका है।
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- स्टॉक-मार्केट क्या है
- शेयर होल्डर्स
- स्वॉक-मार्केट-क्या करें, क्या न करें
- भेड़चल से बचें
- अनुशासनातक निवेश दृष्डिक्रोण का अनुसरण करें
- आवुक होकर निर्णय न लें
- वास्तविक अपेक्षाएँ रखें
- केवल अपने अतिरिक्त धन को ही निवेश करें
- ध्यानपूर्वक निगरानी रखें
- डाइवर्सिफिक्रेशन/विबिधता है जरूरी
- रिस्क को कम करने के लिए स्टॉप-लॉस लगाएँ
- जब स्टॉक्स नीचे जाए तो बुरा न माने
स्टॉक-मार्केट क्या है :- स्वॉक-मार्केट एक मार्केट है, जिसमें कंपनियों के शेयर्स सार्वजनिक रूप से जारी किए जाते हैं। इसे इक्बिटी मार्केट भी कहते हैं। यह क्योंकि यह कंपनियों को निवेशकों की पूँजी उपलब्ध कराता है, उन्हें कंपनी के स्वामित्व में मार्केट इकोनॉमी का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तत्त्व है, आगीदारी देकर। स्टॉक-मार्केट यह संभव बनाता है कि छोटी पूँजी को निवेश करके बड़ा लाभ कमाया जाए; व्यवसाय शुरू करने का जोखिम लिये बगैर। कंपनियाँ अपने लाध में से निवेशकों को डिविडेंद्स भी देती हैं। अगर कंपनी जाट में जाती है तो शेयर के दाम चट जाते हैं। इससे निवेशकों को भी घाटा होता है।
शेयर होल्डर्स :- कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्था, जिसका किसी कंपनी के शेयरों पर स्वामित्व होता है और जिसके नाम पर शेयर सर्टिफिकेट जारी होता है, उसे शेयर होल्डर कहा जाता है।
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स्वॉक-मार्केट-क्या करें, क्या न करें :- अधिक लाभ कमाने का लालच निवेशकों को स्वॉक-मार्केट की ओर आकर्षित करता है। लेकिन शेयर-मार्केट में पैसा बनाना इतना आसान नहीं है। इसके लिए अत्यधिक बैर्य, अनुशासन और जोध की आवश्यकता होती है, ताकि आप स्टॉक-मार्केट को ठीक प्रकार से समझ सके। पिछले कुछ करो में स्टॉक-मार्केट में हुई हलचल ते निवेशकों को भ्रम की स्थिति में डाल दिया है। वो इस दूबंद्व मे हैं कि स्वॉक््स को बेचें, रोककर रखें या नए स्टॉक्स में निवेश करें। 'हालौंकि स्टॉक-मार्केट में सफल होने का कोई निश्चित फॉर्मूला चहीं है, यहाँ कुछ टिप्स दिए जा स्हे हैं, जिनका अगर आप अलुसरण करेंगे तो आपको अच्छा रिडन्स मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
भेड़चल से बचें :- एक आम निवेशक का निर्णय अपने परिचितों, रिश्तेदारों और आसपास के लोगों के द्वार अत्यधिक प्रभावित होता है। इसलिए, अगर आपके करीबी लोग किसी विशेष स्टॉक में निवेश कर रहे हैं तो आपकी उस स्टॉक में निवेश करने की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है। लेकिन यह रणनीति आगे चलकर आपके लिए बैकफायर कर सकती है। अगर आप अपनी मेहनत से कमाए पैसे को स्वॉक-मॉ्केट में गैंवाना नहीं चाहते तो आपको इस धेड़चाल से बचना होगा। विश्व के सबसे बड़े निवेशक जॉरेन वफेट गलत नहीं थे, जब उन्होंने कहा था, “भयभीत रहो, जब दुसरे ललचाएँ, और लालची बनो, जब दूसरे भवभीत हों !*
अनुशासनातक निवेश दृष्डिक्रोण का अनुसरण करें :- ऐसा नहीं है कि जब मार्केट स्लो होता है, तब ही लोग पैसा गैँवाते हैं; मार्केट के उछाल में भी कई लोग चैसा गँवा देते हैं। हालाँकि, जो निवेशक सही शेयरों में व्यवस्थित रूप से निवेश करते हैं, और अपने निवेश को बैयंपूर्वक होल्ड करके रखते हैं, उन्हें आसाधारण रिव्सं मिलते हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि बै्य रखा जाए और एक अदुशसित निवेश दृष्टिकोण का अवुसरण किया जाए और मस्तिष्क में लंबे समय के लिए निवेश करने की एक विस्तृत तस्वीर राखी जाये।
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आवुक होकर निर्णय न लें :- कई निवेशक स्टॉक-मार्केट मे पैसा गैँवा देते हैं, क्योंकि वो अपनी भावनाओं, विशेषकर भय और लालच को काबू में नहीं रख पाते हैं। स्वॉक-मार्केट में जल्दी चैसा बनाने के लालच को नियंत्रण में रखना कठिन होता है। लालच बढ़ता जाता है, जब निवेशक कम समय में अच्छे रिटर्न की कहानियाँ सुनते हैं। यह उन्हें अज्ञात कंपनियों या ऐसी कंपनियों के शेयर्स, जो भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करेंगी, लेने के लिए प्रेरित करते हैं बिना वास्तव में यह समझे कि इसमें कितना जोखिम है। लाभ कमाना तो दूर, जब मार्केट पलग मारता है तो इन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जब मार्केट नीचे आता है, निवेशक घबरा जाते हैं और अपने शेयर्स को अत्यधिक कम कीमतों पर बेच देते हैं। इसलिए अगर आप स्टॉक-मार्केट में पैसा कमाना चाहते हैं तो अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखें। अगर स्वॉक-मार्केट के अतीत के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाए तो पता चलेगा कि 18 महीनों या इससे कम समय में मार्केट बड़े सेट बैक के बाद फिर से रिकवर होता है, इसलिए घैर्य रखें और संयमित होकर निर्णय लें।
वास्तविक अपेक्षाएँ रखें :- अगर आप अपने निवेश से सर्वश्रेष्ठ रिटर्स्स की अपेक्षा रखते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन आप समस्या को न्योता दे रहे हैं, अगर आपके वित्तीय उद्देश्य अवास्तबिक अवधारणा पर आधारित हों।
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उदाहरण:,- के लिए पिछले कुछ वर्षों में जब मार्केट ऊपर की ओर गया, कई स्वॉक्स ने 50 प्रतिशत से अधिक रिटर्स्स दिए। हालाँकि इसका अर्थ यह नहीं है कि आप हमेशा ही स्वॉक-मार्केट से इस प्रकार के रिटर्स्स की अपेक्षा रखें। इसलिए जब बॉरेन बफेट कहते हैं कि स्वॉक-मार्केट में 72 प्रतिशत से अधिक रिटर्स्स की अपेक्षा रखना मूर्खता है और अगर आप ऐसा करते हैं तो निश्चित हो आप समस्याओं को न्योता दे रहे हैं।
केवल अपने अतिरिक्त धन को ही निवेश करें :- अगर आप स्वॉक-सार्केट जैसे उचल-पुथल से भर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं, तब आप चह देखें कि आपके पास कितना अतिरिक्त धन है, जिसे आप गंवा सकते हैं। आपको यह सुनिश्चित करना है कि वर्तमान परिड्स्य में अगर आप घन गैँवा भी देते हैं तो आपकी आर्थिक स्थिति पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। आने वाले महीनों में यह निवेश आपको अच्छा रिटर्त दे सकता है। कोई भी सौ प्रतिशत सटीक भविष्यवाणी कहीं कर सकता है, यह कहते की आवश्यकता चहीं है कि आप तथी निवेश करें, जब आपके पास अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के जद अतिरिक्त धन बचे।
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ध्यानपूर्वक निगरानी रखें :- आज हम एक ग्लोबल बिलेज में रह रहे हैं। विश्व के किसी भी भाग में कोई महत्वपूर्ण चटना डब्ती है, उससे हमारे वित्तीय बाजार पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें आवश्यकता है कि हम अपने पोर्टफोलियो पर लगातार नजर रखें और जो भी आवश्यक परिवर्तन हों, करें। जब मार्केट नें बहुत उधल-पुधल हो तो कुछ दिनों के लिए मार्केट से दूर रहें। अगर आप समय या जानकारी की कमी के कारण, अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा कहीं कर सकते, तब आपको अच्छे वित्तीय योजनाकार या ऐसे व्यक्ति की सलाह लेना चाहिए, जिसे स्टॉक-मार्केट का अच्छा ज्ञान हो। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आपको स्टॉक-मार्केट में निवेश नहीं करना चाहिए।
डाइवर्सिफिक्रेशन/विबिधता है जरूरी :- किसी एक स्टॉक में अपना पूरा पैसा निवेश करने से बचें। अगर यह कंपनी अच्छा प्रदर्शन करेगी तो आप मोटा लाभ कमा लेंगे, लेकिन अगर यह कंपनी डूब गई तो आपका निवेश भी डूब सकता है। अलग-अलग कंपनियों के शेवर्स में निवेश करें। अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश करना इसलिए बेहतर रहता है कि अगर एक या दो सेक्टर अच्छा प्रदर्शन नहीं करेंगे, आपको दूसरे सेक््टरों से लाभ मिल जाएगा। रिस्क को कम करते के लिए डाइबसिंफिकेशन जरूरी है, लेकिन ओवर-डाइवसिफिकेशन से बचे ।
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डाइबसिंफिकेशन कई क्र में होना चाहिए; कई कंपनियों के शेयर्स खरीदना, मार्केट साइज के अवुसार (लार्ज, मिडिल और स्मॉल कैप इल्बेस्टमेंट), इसके साथ ही भौगोलिक डाइकसिंफिकेशन (राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय) में निवेश करना। अच्छा डाइक्सिंफिकेशन आपको मार्केट के झटकों से बचाता है।
बेचने की रणनीति बनाएँ :- आपको पहले से यह रणनीति बनानी चाहिए कि आपको किस मूल्य पर कोई स्टॉक खरीदना या बेचना है। १० प्रतिशत चादे या 10 प्रतिशत लाभ पर। इसे 'सेल डिसिप्लिन' कहा जाता है, आपके पास नुकसान को सीमित करने के लिए एक प्री-सेट गेम-प्लान होना चाहिए, इसके साथ ही लाभ को लॉक करने की समझ भी आपमें होनी चाहिए। आपकी सोच इस मामले में स्पष्ट होनी चाहिए कि जब आपका स्थॉक मूव करेगा-ऊपर जाएगा या नीचे आएगा, तब आपको क्या करना चाहिए। आपको अपनी सेल स्ट्रेटेजी से चिपके रहना चाहिए। जिनकी सेल स्ट्रेटेजी बेहतर होती है, वो दूसरे निवेशकों से अच्छा करते हैं।
रिस्क को कम करने के लिए स्टॉप-लॉस लगाएँ.:- स्वॉक-मार्केट में सफलता की चाबी है, स्टॉप-लॉस ऑर्डर। स्टॉप-लॉस ट्रेडर स्टॉक को बेचने में सहायता करता है, जब वो एक निश्चित कीमत पर पहुँचता है। उदाहरण के लिए आपने किसी कंपनी के शैयर्स 00 रुपए में खरीदे हैं और आपने 95 रुपए का स्टॉप-लॉस लगाया है। जब कीमत गिरकर 95 रुपए आ जाती है, तब शेयर्स अपने आप बिक जाते हैं। इसका अर्थ है कि आपने अपने नुकसान को 5 रुपए तक सीमित कर लिया है। जब आप स्वॉक-मार्केट में ट्रेड करने की योजना बनाएँ, आपको चह स्पष्ट होना चाहिए, आप कितना नुकसान उठाने के इच्छुक हैं। आपको लंबे समय के निवेश के लिए स्टॉप-लॉस लगाने की आवश्यकता नहीं है।
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जब स्टॉक्स नीचे जाए तो बुरा न माने :- निवेशक को नियमित अंतराल पर अपने निवेश की समीक्षा करनी चाहिए। अगर कंपनी का अदर्शन सुधरता है या समान बना रहता है, आपको या तो स्टॉक को होल्ड करना चाहिए वा और खरीद लेना चाहिए। अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है तो स्टॉक को बेच देना चाहिए।
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