शेयर बाज़ार क्या है?
हमने पहले अध्याय मैं पढ़ा था पहला अध्याय पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे। कि इक्विटी निवेश का एक ऐसा विकल्प है जिसमें महंगाई दर से कहीं ज्यादा 'रिट्ने देने की क्षमता है। अब सवाल ये आता है कि इसमें निवेश करे कैसे? इसका जवाब जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि इक्विटी मैं निवेश कौन कौन से लोग करते हैं और ये पूरा सिस्टम कैसे काम करता है।
जब हम अपने बगल के किराना दुकान जा कर ज़रूरत की चीजे खरीदते है, वैसे ही हम इक्विटी में निवेश, या. खरीद बिक्री स्टॉक मार्केट या शेयर बाज़ार में करते हैं। इक्तिटी में निवेश करते वक्त एक शब्द ट्रॉंजेक्ट Transact आप बार बार सुनैगे। ट्रॉंजेक्ट का मतलब है खरीद-बिक्री करना। और इक्विटी की ये खरीद-बिक्री आप बिना स्टॉक सार्केट के नहीं कर सकते।
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स्टॉक मार्केट इक्विटी खरीदने वाले और बेचने वाले को मिलाता है। लेकिन ये स्टॉक मार्केट किसी दुकान या इमारत के रूप मैं नहीं दिखता. जैसा कि आपके किराने के दुकान दिखते हैं। स्टॉक मार्केट इलेक्ट्रॉनिक रूप मैं होता है। आप कंप्यूटर के ज़रिए इस पर जाते हैं और वहाँ खरीद बिक्री का काम करते हैं। एक बात का यहाँ ध्यान रखें कि ये शेयरों की खरीद बिक्री का काम आप बिना स्टॉक ब्रोकर के नहीं कर सकते। स्टॉक ब्रौकर एक रजिस्टरड मध्यस्थ होता है, जिसके बारे मैं हम आगे विस्तार से बताएंगे।
भारत देश मैं दो मुड्य स्टॉक एक्सचेंज हैं- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ( Bombay Stock Exchange- BSE ) और.नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ( National Stock Exchange- NSE ) । इसके अलावा कुछ क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज भी हैं जैसे बैंगलोर स्टॉक एक्सचैंज, मद्रास स्टॉक एक्सचैंज। क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज पर अब ना के बराबर लोग हिस्सा लेते है।
शेयर बाज़ार में कौन लोग हिस्सा लेते हैं और उन्हें रेगुलेट करने की ज़रूरत क्यों है?
शेयर बाज़ार मैं एक व्यक्ति से लेकर कंपनियों तक निवेश करती हैं। जो लोग भी शेयर बाज़ार मैं खरीद बिक्री करते हैं उन्हे मार्कट पर्टिसिपेट्स ( Market Participants ) कहा जाता है। इन मार्कट पा्टिसिपेंट्स को कई कैटेगरी या वर्ग में बॉँटा गया है। कुछ कैटेगरी की जानकारी नीचे दी नई है।
1. डोमेस्टिक रिटेल पा्टिसिपेंट्स - भारतीय मूल के नागरिक जो भारत में ही रहते हैं. जैसे हम और आप ।
2. NRI'S और OCI - भारतीय मूल के नागरिक जो विदेशी में बसे हैं।
3. घरेलू संस्थागल निवेशक ( Domestic Institutions ) - इसके तहत बड़ी भारतीय कंपनियाँ आती हैं, जैसे भारतीय जीवन बीमा निगम ( Life Insurance Company of India- LIC ).
4. घरेलू एसेट मनेगमेंट कंपनियों - ( Asset Management Companies ) - इस वर्ग मे आमतौर पर घरेलू म्युचुअल फंड कंपनियों होती हैं जैसे SBI म्युपुअल फंड, DSP ब्लैक रॉक, फिडेलटी इंवेस्टमेट्स,HDFC AMC वगेरह।
5. विदेशी संस्थागत निवेशक ( Foreign Institutional Investors ) - इसमें विदेशी कॉम्पनिया , विदेशी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ. हेज फंड्स वगैरह आते हैं।
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निवेशक किसी भी कैटेगरी या वर्ण का हो, शेयर बाज़ार मैं भाग लेने वाली हर एंटिटी मुनाफा कमाना चाहती है। और जब पैसे की बात आती है. तो इंसान के अंदर लालच और डर दोनों बहुत ज्यादा होता है। कोईभी इंसान बड़े आराम से लालच और दर के चक्कर में पड़ कर गलत काम कर सकता है। भारत मैं इस तरह के घोटाले भी हुए है, जैसे हर्षद मेहता घोटाला वगैरह। इसलिए जरूरी है कि एक ऐसीबॉडी हो. जो नियम कानून बनाए और ये सुनिश्चित करे कि किसी तरह की गलत हरकते बाज़ार मैं न हो, और सभी को पैसा कमाने का सही मौका मिले। इसीलिए रैगुलेटर की ज़रूरत होती है।
रेगुलेटर
भारत मैं शैयर बाज़ार का रेगुलेटर है भारतीय प्रतिभूतिया और विनिमय बोर्ड (The Securities and Exchange Board of India - SEBI ) जिसे हम सेवी के नाम से जानते हैं। सेबी का उद्देश्य है प्रतिभृतियाँ (सिक्योरिटीज़) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना, प्रतिभूति बाजार (सिक्योरिटीज़ मार्कट) के विकास का उल्नयन' करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना । सेबी ये सुनिश्चित करती है कि.
1. दोनों स्टॉक एक्सचेंज: NSE और BSE अपना काम सही तरीके से करें
2. स्टॉक ब्रोकर्स और सब ब्रोकर्स नियमानुसार काम करें
3. शेयर बाज़ार मैं हिस्सा लेने वाली कोई एंटिटी गलत काम न करे
4. कंपनियाँ शेयर बाज़ार का इस्तेमाल सिर्फ खुद के फायदे के लिए न करें - जैसा सत्यम कम्प्यूटर्स ने किया था
5. छोटे निवेशकों के हित की रक्षा हो
6. बडे निवेशक , जिनके पास बहुत पूंजी है, वो अपने हिसाब से बाजार में हेर-फेर न करें
7. पूरे शेयर बाज़ार का विकास हो
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इन उद्देश्यों को देखते हुए ये जरूरी है कि सेबी सभी एटिटी को रेगुलेट करे। नीचे दिए गए सभी एंटिटी शेयर बाजार से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। किसी एक की गलत हरकत से शैयर बाज़ार में उठा पटक मच सकती है।
सेबी ने इन एंटिटी के लिए अलग अलग नियम और कानून बनाए है। सभी को इन नियम कानून के दायरे मेंरह कर काम करना होता है। इन नियम कानून की विस्तार मैं जानकारी सेबी के वेबसाइट पर “कानूनी ढाँचा” सैक्शन में आपको मिल जाएमी।
इस अध्याय की ज़रूरी बातें
1. अगर आपको शेयर खरीदना-बेचना है तो शेयर बाज़ार या स्टॉक मार्केट के ज़रिए करना होगा।
2. शेयर बाजार में शेयर खरीदना-बेचना इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है और आप किसी स्टॉक ब्रोकर के ज़रिए ये
काम कर सकते हैं।
3. शेयर बाज़ार में कई भागीदार/खिलाड़ी या पार्टिसिपेंट्स (Participants) होते हैं।
4. शेयर बाज़ार में भाग लेने या ऑपरेट करने वाले सभी एंटिटी को रेगुलेट करना ज़रूरी है और सबको रेगुलेटर दवारा बनाए गए नियमों को पालन करना होता है।
5. सेबी सिक्योरिटी बाज़ार का रेगुलेरटर है। वो नियम- कानून बना कर शेयर बाज़ार में हिस्सा लेने वाले सभी एंटिटी को रेगुलेट करता है।
6. सबसे ज़रूरी बात- सेबी को पता होता है कि आप शेयर बाज़ार में क्या कर रहे हैं, अगर आपने कुछ भी गैर- कानूनी किया तो आपके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
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1 टिप्पणियाँ
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